मेरे हमसफ़र
बड़ी लंबी है डगर
फिर क्यों न करे हम ,
एक-दूसरे की कदर।
कर लो तुम मेरी
और मैं कर लूँ तुम्हारी कदर।
चाहे हम जाए,
किसी भी शहर या नगर ,
रखेंगे अपने परिवार पर नजर
चाहे सुख का हो पहर ,
या दुःख का कहर ,
चलेंगे हम साथ- साथ ,
थोड़ा ठहर -ठहर
और मैं कर लूँ तुम्हारी कदर।
चाहे हम जाए,
किसी भी शहर या नगर ,
रखेंगे अपने परिवार पर नजर
चाहे सुख का हो पहर ,
या दुःख का कहर ,
चलेंगे हम साथ- साथ ,
थोड़ा ठहर -ठहर
ओ मेरे हमसफ़र....
ध्यान रखना,
एक बात का मगर
तुम हो सागर ,
तो मैं हूँ लहर
चलना तो है हमें साथ साथ ,
फिर किस बात का है डर
थोड़ा लड़कर तो,
थोड़ा झगड़कर ,
रहना तो है हमें एक ही घर पर
ध्यान रखना,
एक बात का मगर
तुम हो सागर ,
तो मैं हूँ लहर
चलना तो है हमें साथ साथ ,
फिर किस बात का है डर
थोड़ा लड़कर तो,
थोड़ा झगड़कर ,
रहना तो है हमें एक ही घर पर
फिर क्यों न करें,
हम एक दूसरे की कदर
हम एक दूसरे की कदर
ओ मेरे हमसफ़र....
जीवन डोर बंधी अपनी,
रिश्ता हर पल निभाएँगे
बिछड़ेंगे न कभी
न अलग रह पाएँगे ,
एक दूसरे से कभी दूर ही सही,
फिर क्यों न करे हम ,
एक दूसरे के प्यार की कदर
ओ मेरे हमसफ़र,
बड़ी लंबी है डगर
न अलग रह पाएँगे ,
एक दूसरे से कभी दूर ही सही,
फिर क्यों न करे हम ,
एक दूसरे के प्यार की कदर
ओ मेरे हमसफ़र,
बड़ी लंबी है डगर
ओ मेरे हमसफ़र....
आपका तो जवाब ही नहीं हैं।। बहुत अच्छी कविता हैं।।mam।।,,,💐
ReplyDeleteAapki Kavita aapki taraha khubsurat he
ReplyDeleteबहोत अची कविता है 👌👌👌👌👍
ReplyDeleteBahut achhi h kavita 👌👌👌👌
ReplyDeleteBahut achhi h kavita 👌👌👌👌👌
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