• माँ लौटा दो
(कविता)
माँ..... माँ....
थक गया हूँ, गोदी ले लो
माँ... भूख लगी
दूध नहीं, बस रोटी दे दो
माँ... बदन जलता है
अपने आँचल की छाँव दे दो
माँ... नींद नहीं आती
डर लगता है
तू क्यूँ नहीं आती
क्यूँ नहीं मुझे लोरी सुनाती
माँ.. नहीं चाहिए कोई खिलौना
अपनी बाहों का बना के पालना
मुझे परियों की कहानी सुना दे
मुझे झूठ मूठ की मिठाई खिला दे
माँ... मैं तेरी राह तकता हूँ
भीड़ में तुझे खोजा करता हूँ
कैसे पहचानूं तुझे
कैसी सूरत है तेरी
एक बार.. बस एक बार
मुझे प्यार से बेटा बुला दे
मेरे उलझे बालों को सुलझा दे
दूध, रोटी
नहीं चाहिए मुझे कोई खिलौना
कोई मुझे बस "माँ "लौटा
-०-
थक गया हूँ, गोदी ले लो
माँ... भूख लगी
दूध नहीं, बस रोटी दे दो
माँ... बदन जलता है
अपने आँचल की छाँव दे दो
माँ... नींद नहीं आती
डर लगता है
तू क्यूँ नहीं आती
क्यूँ नहीं मुझे लोरी सुनाती
माँ.. नहीं चाहिए कोई खिलौना
अपनी बाहों का बना के पालना
मुझे परियों की कहानी सुना दे
मुझे झूठ मूठ की मिठाई खिला दे
माँ... मैं तेरी राह तकता हूँ
भीड़ में तुझे खोजा करता हूँ
कैसे पहचानूं तुझे
कैसी सूरत है तेरी
एक बार.. बस एक बार
मुझे प्यार से बेटा बुला दे
मेरे उलझे बालों को सुलझा दे
दूध, रोटी
नहीं चाहिए मुझे कोई खिलौना
कोई मुझे बस "माँ "लौटा
-०-
पता:
जयश्री सिंह
हार्दिक बधाई है आदरणीय सुन्दर मां रचना के लिये।
ReplyDeleteमाँ के लिए बच्चे के मन व उसके मातृतव भाव का सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteहार्दिक 💐
Congratulations.... Jaishree
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