(कविता)
प्रेम-गीत मेरा तुम प्रिये ।
अमर-गीत मेरा तुम प्रिये।।
कैसी बिछड़न जीवन की ये ।
सांसो की तुम डोर प्रिये ।।
लगता न था,कभी जीवन में ।
ऐसा भी सुखद दिन आयेगा ।।
मैं रूठता सा रहूंगा तुमसे ।
और तुम मनाने आओगे प्रिये ।।
प्रातः-गीत मेरा तुम प्रिये ।
सांझ-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी दिल्लगी जीवन से ये ।
यादों की तुम मुस्कान प्रिये ।।
लगता न था, कभी राहों में ।
ऐसी मुलाकात भी तुमसे होगी ।।ं
मैं देखता रहूंगा हर पल तुमको ।
और तुम मुस्कराती रहोगी प्रिये ।।
महफिल-गीत मेरा तुम प्रिये ।
विरक्त-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी तड़फ मुहब्बत से ये ।
हृदय की तुम धड़कन प्रिये ।।
लगता न था, कभी बातों में ।
इस कदर भी मुहब्बत होगी ।।
मै खोता रहूंगा हर पल तुममें ।
और तुम मुझमें समाती रहोगी प्रिये।।
-०-
अमर-गीत मेरा तुम प्रिये।।
कैसी बिछड़न जीवन की ये ।
सांसो की तुम डोर प्रिये ।।
लगता न था,कभी जीवन में ।
ऐसा भी सुखद दिन आयेगा ।।
मैं रूठता सा रहूंगा तुमसे ।
और तुम मनाने आओगे प्रिये ।।
प्रातः-गीत मेरा तुम प्रिये ।
सांझ-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी दिल्लगी जीवन से ये ।
यादों की तुम मुस्कान प्रिये ।।
लगता न था, कभी राहों में ।
ऐसी मुलाकात भी तुमसे होगी ।।ं
मैं देखता रहूंगा हर पल तुमको ।
और तुम मुस्कराती रहोगी प्रिये ।।
महफिल-गीत मेरा तुम प्रिये ।
विरक्त-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी तड़फ मुहब्बत से ये ।
हृदय की तुम धड़कन प्रिये ।।
लगता न था, कभी बातों में ।
इस कदर भी मुहब्बत होगी ।।
मै खोता रहूंगा हर पल तुममें ।
और तुम मुझमें समाती रहोगी प्रिये।।
-०-
पता:
रवीन्द्र मारोठी 'रवि'
हार्दिक बधाई है आदरणीय !
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