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Monday, 27 July 2020

प्रेम-गीत मेरा तुम (कविता) - रवीन्द्र मारोठी 'रवि'


प्रेम-गीत मेरा तुम
(कविता)
प्रेम-गीत मेरा तुम प्रिये ।
अमर-गीत मेरा तुम प्रिये।।
कैसी बिछड़न जीवन की ये ।
सांसो की तुम डोर प्रिये ।।
            लगता न था,कभी जीवन में ।
            ऐसा भी सुखद दिन आयेगा ।।
            मैं रूठता सा  रहूंगा  तुमसे ।
            और तुम मनाने आओगे प्रिये ।।
प्रातः-गीत मेरा तुम प्रिये ।
सांझ-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी दिल्लगी जीवन से ये ।
यादों की तुम मुस्कान प्रिये ।।
             लगता न था, कभी राहों में ।
             ऐसी मुलाकात भी तुमसे होगी ।।ं
             मैं देखता रहूंगा हर पल तुमको ।
             और तुम मुस्कराती रहोगी प्रिये ।।
महफिल-गीत मेरा तुम प्रिये ।
विरक्त-गीत मेरा तुम प्रिये ।।
कैसी तड़फ  मुहब्बत से ये ।
हृदय की तुम धड़कन प्रिये ।।
             लगता न था, कभी बातों में ।
             इस कदर भी मुहब्बत होगी ।।
             मै खोता रहूंगा हर पल तुममें ।
             और तुम मुझमें समाती रहोगी प्रिये।।
-०-
पता:
रवीन्द्र मारोठी 'रवि'
बागेश्वर (उत्तराखण्ड)

-०-


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1 comment:

  1. हार्दिक बधाई है आदरणीय !

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