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Friday, 15 January 2021

यादों की गठरी (कविता) - रानी प्रियंका वल्लरी

 

यादों की गठरी
(कविता)
यादों की गठरी है कुछ 
पीड़ बन दबी हृदय में 
तमाम यादें मुश्किलें 
अंतर्मन में सिकुड़ी हुई है।

सफ़ेद कोहरे की तरह 
हृदय पर छाई हुई है 
खिली धूप सी है यादें 
मुस्कुराना चाहती हैं 

स्मृति का अलाव जलाकर 
सेंकती हुई हाथे कंपकपाती
भावनाओं के अनंत लहर में 
डूब कर सहम जाती है।

व्यथा,निराश निंदा रस का 
हाला पीकर मदमस्त हृदय 
पहाड़ की खाई में लुप्त 
होकर विलीन हो जाती है 

रिश्ते नाते परखने लगे 
भावनाओं और विचार में 
प्रतिदिन जूझती ज़िंदगी 
अभिसार को आतुर है 

निर्वस्त्र हृदय की आकुलता 
व्यथा का घट पीकर सदा
आश्वस्त कर रहा यह  मन 
शीतल विराम  में अपना 
स्थिर अस्तित्व ढूँढ़ती है 
-०-
पता: 
रानी प्रियंका वल्लरी
बहादुरगढ (हरियाणा)

-०-

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