(कविता)
सड़क किनारे गांव मेरा है
उसकी याद सताती है ।
भीड़ -भाड़ है सदा वहां
एक लगता सुंदर मेला है ।
छोटी- मोटी कई दुकानें
और पान का ठेला है।
कटती फसल अन्न घर आता
हर घर खुशियां आती है ।
सड़क किनारे गांव ••••••
उसकी याद•••••••।
अपनापन है सदा वहां
सब मेल -जोल से रहते हैं।
बड़ों का करते मान सभी
दुःख-दर्द साथ में सहते हैं ।
काकी- दादी शुभ पर्वों पर
मधुर स्वरों में गाती है।
सड़क किनारे गांव •••••
उसकी याद•••••।
गांव को किसकी नजर लगी है
राजनीति की हवा चली ।
नेता गीरी, नारे बाजी
गूंज उठी हर गली गली।
जिन गलियों में खेला -कूदा
वे मुंह मुझे चिढाती है
सडक किनारे गांव •••••
उसकी याद ••••••••।
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