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Wednesday, 11 March 2020

पराई बेटियां (गीतिका छन्द) - रीना गोयल

पराई बेटियां
(कविता)
गीतिका छन्द-

दो घरों को हैं सजाती बेटियां 
पर परायी ही कहाती बेटियां ।

हाथ से दोनों लुटाएं वो हसीं,
जब कभी आँगन में आती बेटियां ।

हर थकन से फिर मिले आराम है ,
खूब खुल जब खिलखिलाती बेटियां ।

आत्मा में है बसी पितु मात की ,
फिर पराये घर क्यों जाती बेटियां। 

बन सुकोमल फूल हर इक़ बाग का ,
प्रीत की बगिया सजाती बेटियां ।
पता:
रीना गोयल
सरस्वती नगर (हरियाणा)

-०-

***
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