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Wednesday, 22 July 2020

सफर जारी रखना ही होगा (कविता) - दीपक सपकाल

सफर जारी रखना ही होगा
(गीत)
काँटे कितने भी हो रास्तें में
सफर तो जारी रखना ही होगा,
चाहे सहने पडे कष्ट कितने भी
मंजिल को तो पाना ही होगा।।
कमान में तीर हो,आँख निशाने पर
विचलित न हो जाए मन कभी
ना डगमगाना होगा,
काँटे कितने भी हो रास्ते में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
समंदर में तो कश्तियाँ भी गोते लगाती है
तुफान में बस्तियाँ भी बिखर जाती है,
हो हौंसला मन में अगर
तो हर किनारा भी मिल जाता है,
तूफानों औ आँधियों को मिटाना होगा,
बुलंदियों को छूने हौसला बुलंद रखना होगा,
काँटे कितने भी हो रास्तों में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
चीर देती है नदी की धारा
उँची उँची पहाडियों को,
रास्ता बनाती है नीर देने वादियों को,
हो जाए गर हरा भरा सारा जहाँ,
फूल कली खिलेगी जहाँ वहाँ
किंतु रुक जाना संभव नहीं होगा
चाहे काँटे कितने भी हो रास्ते में
सफर तो जारी रखना ही होगा।।
***********🙏***********
पता: 
दीपक सपकाल 
यवतमाळ (महाराष्ट्र)

-०-

***
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1 comment:

  1. छान ब्लाॅ आहे आणि भरगच्च रंगीत संगीत पण अशीच प्रगती करत राहा . आणि आपण इतरांच्या ब्लाॅगबाबत व पोस्ट बाबत कधी काहीच प्रतिक्रिया देताना दिसले नाहीत.ती पण दिली तर छान !
    शुभेच्छा 💐

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