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Saturday, 21 November 2020

मंजिल (कविता) - श्रीमती रमा भाटी

  

मंजिल
(कविता)
अगर चाहत हो मंजिल तक
पहुंचने की मत रुकना कभी
चलते रहना बस चलते रहना।

चाहे आयें मुश्किलें राहों में
या हो रास्ता चुनौती भरा
चलते रहना बस चलते रहना।

ना छोड़ना कभी उम्मीदों को
ना होना कभी मायूस तुम
चलते रहना बस चलते रहना।

उड़ान कितनी भी ऊंची हो
पांव जमीं पर ही रखना तुम
चलते रहना बस चलते रहना।

ख्वाहिशें सदा रखना जिंदा तुम
ना टूटने देना कभी विश्वास तुम
चलते रहना बस चलते रहना।

अंधियारों को चीरते हुए
जब दिखेगी रोशनी तुम्हें
वही होगी तुम्हारी मंजिल 
चलते रहना बस चलते रहना।
-०-
पता:
श्रीमती रमा भाटी 
जयपुर (राजस्थान)

-०-


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