जीना सिखाता है
(ग़ज़ल)
हमारी गलतियों को वो सही होने नहीं देता,
हमें वह आदमी से आदमी होने नहीं देता।
सताता है मग़र हमको दुःखी होने नहीं देता,
हमारे दर्द में कोई कमी होने नहीं देता।
जहाँ हम चाहते होना वहीं होने नहीं देता,
हमें वो अब कहीं से भी कहीं होने नहीं देता।
आसमां हूँ मगर हमको जमीं होने नहीं देता,
हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी होने नहीं देता।
जिसे अपना समझते हम वही दिल को दुःखाता है,
याद में वो कभी कोई कमी होने नहीं देता।
रुलाता है हमें इतना कि आँसू सूख जाते हैं,
हमारी आँख में थोड़ी नमी होने नहीं देता।
मुहब्बत में हमें अपनी तरह जीना सिखाता है,
हमारी ही तरह हमको कभी होने नहीं देता।
-०-
No comments:
Post a Comment