तुम बिन जिंदा कैसे रहूँ
(कविता)
तुम को खोकर तुम्हीं को पाना यह दर्द बड़ा नासूर है।।
तुमको तुम ही से चुरा ना
यह दर्द बड़ा नासूर है।।
मोहब्बत यह एक तरफा है
तुमको यह जताना
बड़ा नासूर है ।।
इस दर्द में रहकर
दर्द का मजा पाना
बड़ा नासूर है।।
इंतजार पल पल का तुम्हारा होता है
जो ना दिखो तुम, अगले पल
तुम बिन जिंदा रहना
नासूर है ।।
नहीं करती यह उम्मीद तुमसे
कि तुम मेरे बनो
मगर तुम बिन
मुझको रहना नासूर है।।
सुन्दर कविता के लिये आप को बहुत बहुत बधाई है आदरणीय !
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