जय गणेश
(कविता)
नया काम कोई भी करता,
जय श्रीगणेश है नाम वो लेता।
सबसे पहले पूजा जाता,
वह हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता।
मोदक उनको बहुत है भाता,
हम सबके वह भाग्यविधाता।
मूषक है गणपति की सवारी,
पूजें घर-घर नर और नारी।
शिव पार्वती के राजदुलारे,
गणपति जी सबके हैं प्यारे।
भक्ति करो मन से गणेश की,
हरते हैं सबके दुःख क्लेशजी।
देवलोक के तुम सरताज,
शत-शत नमन करें हे विघ्नराज।
-०-
पता:
अतुल पाठक 'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)
नया काम कोई भी करता,
जय श्रीगणेश है नाम वो लेता।
सबसे पहले पूजा जाता,
वह हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता।
मोदक उनको बहुत है भाता,
हम सबके वह भाग्यविधाता।
मूषक है गणपति की सवारी,
पूजें घर-घर नर और नारी।
शिव पार्वती के राजदुलारे,
गणपति जी सबके हैं प्यारे।
भक्ति करो मन से गणेश की,
हरते हैं सबके दुःख क्लेशजी।
देवलोक के तुम सरताज,
शत-शत नमन करें हे विघ्नराज।
-०-
पता:
अतुल पाठक 'धैर्य'
जनपद हाथरस (उत्तरप्रदेश)
-०-
No comments:
Post a Comment