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Sunday, 23 August 2020

खेल (लघुकथा) - बजरंगी लाल यादव

खेल
(लघुकथा)
 " दीदी, अपना नागेंद्र हर वक्त किताबों की दुनिया में खोया रहता है; क्या उसे व्हाट्सएप, फेसबुक, फिल्म या आइपीएल जैसे खेलों में रुचि नहीं...? "
" अब, क्या बताऊं सनोज ! मुझे तो उसकी किताबों के प्रति दीवानगी देखकर कभी- कभार डर सा लगता है। देखो न किताबें पढ़- पढ़कर कितना कमजोर हो गया है वह "
" दीदी ! पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी जरूरी है; वरना, इंसान पा....ऽऽ " तभी स्टडी रूम से झाँकते हुए नागेंद्र ने कहा।
" मामा ! विश्व के किसी ऐसे व्यक्ति का नाम बताएं जो पढ़ाई से पागल हुआ हो? .....दरअसल मामा ! मैंने पढ़ाई को ही अपना खेल मान लिया है; और खेल को ही पढ़ाई.....! "
-०-
पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)


-०-



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