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Wednesday, 26 August 2020

नवजीवन (कविता) - प्रीति चौधरी 'मनोरमा'

नवजीवन
(कविता) 
नवजीवन उर को देता है प्रेम,
दुःख सारे हर लेता है प्रेम,
जीवन के इस रंगमंच का,
असली अभिनेता है प्रेम।

पवन है नवजीवन का स्त्रोत,
परहित के भाव से ओतप्रोत,
सबकी श्वांस चलती है पवन से,
जलती इससे ही जीवन ज्योति।

नवजीवन प्रदान करता है जल,
जल से सुरक्षित आज और कल,
जल है जीवन हेतु अपरिहार्य,
जल से ही जीवन शुभ मंगल।

सावन करता है नवजीवन प्रदान,
अलंकृत करता है समस्त जहान,
कलियों में रंग भरतीं नेह बूंदे,
बिन सावन सूना है उद्यान।

नवजीवन सदैव देती है माता,
ईश्वर सदृश वह भाग्य विधाता,
सृष्टि की निरंतरता नारी से,
अंतस में ममत्व सागर लहराता।

नवजीवन मात्र एक शब्द नहीं है,
जीवन का ध्येय, प्रारब्ध यही है,
नवजीवन में सृजनात्मकता है,
रचनात्मकता में उपलब्ध यही है।
-०-
पता
प्रीति चौधरी 'मनोरमा'
बुलन्दशहर (उत्तरप्रदेश)


-०-


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***
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25 comments:

  1. It's really awesome poem, very much attracted to me

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  2. Suprb lines ���� Heart touching

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  3. Superb lines, #navjeevan. Creativity that needs to encourage.

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  4. Dil ko chhu lene wali kavita

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  5. Heart touching ������

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