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Tuesday, 25 August 2020

धरती का श्रंगार है वन (कविता) - राजेश कुमार शर्मा 'पुरोहित'


धरती का श्रंगार है वन
(कविता)
धरती का तापक्रम बढ़ रहा
पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा
भूकम्प के झटके आ रहे
प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा
वृक्ष रोज कटते जा रहे
मिट्टी रोज कटती जा रही
पहाड़ों में रास्ते बन गए
जंगल धीरे धीरे कट गए
हर जगह विकास ऐसा हुआ
वानिकी दिवस घोषित हुआ
सब कारणों का उपाय खोजे
मिलकर फिर वृक्षारोपण करें
आओ वनों का संरक्षण करें
वन्य जीव जंतुओं का रक्षण करें
भारत के वनों की रक्षा करें
दक्षिण में केरल के वर्षा वन
उत्तर में लद्धाख के अल्पाइन
पश्चिम में धोरो वाला मरुस्थल
पूर्वोत्तर कर सदाबहार वन
शंकुधारी,सदाबहार,पर्णपाती
कांटेदार,मैंग्रोव वनों की रक्षा करें
वनों से प्राप्त उत्पादों की बात हो
वरना फर्नीचर,ईंधन कहाँ से पाओगे
फल,सुपारी,मसाले कहाँ लेने जाओगे
पेड़ों से आयुर्वेदिक औषधियां बनती
स्थाई उपचार कर सब रोगों को हर लेती
इसलिए कहते हैं भाई सुनों गौर से
पेड़ों को अधिक से अधिक लगाएं
मृदा अपरदन होने से बचायें
पेड़ हमें प्राणवायु देते हैं
बदले मे कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करते हैं
पृथ्वी के सुरक्षा कवच ये कहाते
जंगली जीवों को ये बचाते
सभी जीवों को सूर्य ताप से बचाते
धरती के तापक्रम को नियंत्रित रखते
वन प्रकाश का परावर्तन घटाते
ध्वनि को भी नियंत्रित करते
हवा की गति को कम करते
दिशा वायु की ये बदलते
पेड़ बड़े गुणकारी होते
पीपल,वट, नीम,आंवला,शमी
ये सब पेड़ सदा से पूजित होते
मोर,गिद्ध,गोडावण को बचाएं
धरती का श्रृंगार है वन सबको समझाएं
जन्मदिवस पर वृक्ष लगाने का संकल्प दिलाएँ
एक एक पेड़ लगाकर हम सभी
धरती माता को मिलकर सजाएं
-०-
राजेश कुमार शर्मा 'पुरोहित'
कवि,साहित्यकार
झालावाड़ (राजस्थान)

-०-


***
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