आओ हम दिवाली मनायें
(कविता)
आओ हम ‘दिवाली’ मनाये,
अपने दिमाग की ‘चकरी’ चलाये।
‘फुलझड़ियों’ की तरह मुस्कुराये,
अपने बुलंद हौसलों और इरादों के,
खूब ‘राकेट’ चलाये।
प्यार का एक ‘दीप’ जलाये।
बैर के ‘बम’ छोड़कर,
खुशियों और दोस्ती के,
रंगीन ‘अनार’ जलाये।
इस कलयुगी जहाँ में,
अधर्म और असत्य के,
अँधेरे को मिटाये।
सत्य का एक ‘दीप जलाये।
आओ हम ‘दिवाली’ मनाये।।
-०-
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालौनी,कुंवरपुरा रोड,
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