वक्ते वबा
(नज्म)वक्ते वबा ने ये क्या कर डाला
इंसान से छीना मुंह का निवाला
पसीना बहाया , न की बेईमानी
मिला सिला ये काम से निकाला
रंग बदलते बदलते इंसान बदला
गिरगिट को यू पीछे छोड़ डाला
अंधेरों में तन्हा , ये सहर जो हुई
मिटा के अंधेरा , करेगी उजाला
बेतार से तार कब , कैसे जुड़ेगा
बेसहारा तन्हा जिन्हें छोड़ डाला
दूरियां बढी खुद फासलें बढ़ गए
एहसासों मे हुआ चलन निराला
घर में रहे तो लगा हमें कैदखाना
क्यों बनाते रहे इसे ताउम्र आला
गुलशन,बगिया सब फरेब दिखा
बिखरे फूलों से बने कैसे माला
कोई इंसान बना है शहर में फिर
खबर हुई हमें जो फोटो निकाला
हालात होंगे और बदतर यहां पर
अगर इंसा ने इंसा को न संभाला
या रब कर दे अब मदद तू हमारी
दुआ में इंसान ने क्या मांग डाला
सब इंतजाम है निजामत में उसके
शिफा को हिदायत में छुपा डाला
सुनो ,ठहरो,रुको,अकेले ही रहना
खड़ी है आफत लिए हाथ माला
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