*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Sunday 12 April 2020

मृत्यु का अघोष (कविता) - राजीव डोगरा


उदासियां
(कविता)
अघोष करता रहा मृत्यु का
अट्टहास करता रहा काल से,
जब कुछ भी न बचेगा तो
हे! प्रभु
लीन हो जाऊँगा तुम में।

मृत्यु के कण-कण में
मैं विराजमान रहा,
क्षण-क्षण मरता हुआ भी
पल-पल काल के
जकड़े पंजों में पलता रहा।

लोगों ने इतना तोड़ा-मरोड़ा
फिर भी
जीवन के वृक्ष पर
मानवता की आड़ ले,
भावनाओं के फूलों की तरह
हर दम खिलता रहा।

अघोष करता रहा हर पल
स्वयं में मृत्यु का,
लोगों को लगा
मैं हार कर मर चुका हूं।
मगर फिर भी जीता रहा,
खामोशियों के भीतर
हर दम अट्टहास करता हुआ।
-०-
राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
-०-




***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ