कर दो कोरोना का संहार
(कविता)
चीन ने एक भयंकर भूल की या फिर चली ,
अपनी पुरानी कोई अमानवीय गहरी चाल ।
ऐसी विनाशकारी षड्यंत्र मे लिप्त होकर ,
बैठे बैठे उसने किया दुनिया भर मे संचार ।
बनाएं उसने अकाल्पनिक हथियारों का जखीरा ,
कोरोना वायरस से कुख्यात हुआ उसका नाम ।
जन गन मुश्किलों से घिरे माहौल पर पड़ा प्रहार ,
आफत मे पड़ें सभी ,लाखों ने गंवाएं अपने प्राण ।
समय आया है सतर्क और सावधानी से रहने का ,
बार बार साबुन से हाथ धोना,लिए बिना अवकाश ।
नही तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा हम सभी को ,
रोक ना पाएगा कोई ,जब होगा विश्व का सत्यानाश ।
कीटाणुमुक्त होकर अपने आप पर करो अहसान ,
पास पड़ोस को भी ज्ञान दे करो सब को आगाह ।
घर से ना निकलने का इक्कीस दिन की संकल्प को ,
किसी भी कीमत पर अब करना होगा स्वीकार ।
जान है तो जहान है इस तथ्य को करो चरितार्थ ,
एक दूजे से दूरी रखकर करो जग का कल्याण ।
देशहीत मे सोंचो भाईयों ,ना करो देश का अपमान ,
कायम करो मिशाल ,कर दो कोरोना को नाकाम ।
मनोबल टूटा सबका मची दुनिया भर में हाहाकार ।
सुपर पावर अमेरिका का भी कर दिया बुरा हाल ।
हो गये कंगाल ईटली,फ्रांस,स्पेन,जर्मनी और इरान।
पीछे ना हटो कोई , अब कर दो कोरोना का संहार ।
सुरेश शर्मा
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