देशहित में चूर होना चाहिए
(ग़ज़ल)
आदमी में आदमी भरपूर होना चाहिए।।
चेहरा बेनूर है तो इससे कुछ हर्ज नहीं।
आदमी के दिल में मगर नूर होना चाहिए।।
लोग क्या कहेंगे ये बात सोचने की नहीं।
आदमी में ख़ुद में ही सऊर होना चाहिए।।
दिनोंदिन बढ़ता चला है शोर गली-गली में।
शोर को हर गली से अब दूर होना चाहिए।।
हरेक को नशा है कोई ना कोई तो एक।
आदमी को देशहित में चूर होना चाहिए।।
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सुन्दर गजल के लिये आपको बहुर बहुत बधाई है आदरणीय !
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