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Tuesday, 17 March 2020

कोरोना (कविता) - गीतांजली वार्ष्णेय

कोरोना
(कविता)
कोरोना ,कोरोना,कोरोना
जाओना,जाओना,जाओ ना
खेलेंगें हम रंग लगा के
मानेंगें हम तुमको भगा के
होली में तुमको जिंदा जलाके,
भारत से तुम
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरोना कोरोना कोरोना।
चाहो तो तुम गुझियाँ खा लो,
चाहो तो तुम भांग चढ़ा लो,
मनाने होली और कहीं तुम
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरो ना.............
चीन ने तुमको जन्म दिया
पाकिस्तान ने गोद लिया
जाके वहीं पे गुझियाँ खाओ ना
कोरोना, कोरोना,कोरोना।
आये हो तो रंग में रंग दें,
चाहो तो तुम्हें धूल चटा दें
होली की आग से तुम
खेलो ना,खेलो ना, खेलो ना
कोरोना,कोरोना,कोरोना।
जिसने तुमको जन्म दिया
वहीं पे अपना रंग जमा लो,
जाके वहीं पे मेहमानी खालो,
खाके मेहमानी भारत से मेरे
जाओ ना,जाओ ना,जाओ ना
कोरोना, कोरोना,कोरोना।।-०-
पता:
गीतांजली वार्ष्णेय
बरेली (उत्तर प्रदेश)
-०-
***
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1 comment:

  1. बढिया स्वागत की है कोरोना को आदरणीय !बहुत बहुत बधाई आदरणीय !

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