माँ की जन्म घुटी
(कविता)
माँ जो तूने घुटी पिलाई
अब वो काम नहीं करती
बदल गया है आज जमाना
वो युक्ति ना अब चलती
प्यार मुहब्बत नहीं चाहिए
नहीं भावना ही चलती
बच्चों की माँ-बाप से केवल
व्यापारी दिनभर रहती ।
रूपया पैसा उन्हें चाहिए
भौतिक जीवन जीने को
फर्ज गिनाते माता-पिता का
होश नहीं है कुछ उनको ।
हमने लाज रखी माँ तेरी
सारे फर्ज निभाए हैं
उम्र के इस अन्तिम पड़ाव में
माँ तू ही याद आए है ।
-०-
पता:
श्रीमती सुशीला शर्मा
जयपुर (राजस्थान)
-०-
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