अनसुना मत करो ना
(कविता)कोरोना का संदेश अनसुना मत करो ना
खुद को खुदा मान इतना गुरुर मत करो ना
भागदौड़ छोड़ कभीतो आत्ममंथन करो ना
भागदौड़ छोड़ कभीतो आत्ममंथन करो ना
इतनी सी बात समझाने आया है करो ना
धरतीको इतना भी जर्जर मत करो ना
कुछबचे ही ना इतनाभी दोहन मत करो ना
लालच में हो मग्न इतनेभी अंधे मत बनो ना
धरतीको इतना भी जर्जर मत करो ना
कुछबचे ही ना इतनाभी दोहन मत करो ना
लालच में हो मग्न इतनेभी अंधे मत बनो ना
इंसानियत को इतना शर्मसार मत करो ना
इतनी नकली दवाईयाँ चावल मत रचो ना
इतनी नकली दवाईयाँ चावल मत रचो ना
इंसान होकर इतने भी हैवान मत बनो ना
जैविकहथियारोंका जखीरा तुम मत भरो ना
पागलपन में खुदकी कब्र खुद मत खोदो ना
संभलजाओ सबक सिखाने आया है करोना
इतना कमाया है कुछ तो ऊपर ले चलो ना
करोना का संदेश अनसुना मत करो ना
अब इंसानियत के दुश्मन मत बनो ना
जैविकहथियारोंका जखीरा तुम मत भरो ना
पागलपन में खुदकी कब्र खुद मत खोदो ना
संभलजाओ सबक सिखाने आया है करोना
इतना कमाया है कुछ तो ऊपर ले चलो ना
करोना का संदेश अनसुना मत करो ना
अब इंसानियत के दुश्मन मत बनो ना
बहुत खुब ! सुन्दर रचना के लिये आँप को बहुत बहुत बधाई है आदरणीय !
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