(कविता)
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
रंग भरी पिचकारी से अब।
धोयें राग द्वेष का मैल।।
ऊँच नीच की हो न भावना।
उड़े अबीर लाल गुलाल।।
होली के हुड़दंग में भी।
बाँटें मानवता का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
गुजिया मिठाई की मिठास से।
फैले अब खुशियों की बहार ।।
आओ रंगों की पिचकारी से।
धोयें जग का अत्याचार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
है आये रंगों का त्यौहार।।
बसंत बहार के रंगों से।
ओढ़े धरती है पीतांबरी।।
ईष्या राग द्वेष को त्यागें।
सीचें मानवता की क्यारी।।
रूठे श्याम को भी मनायें।
रंगों से खुशियाँ फैलायें।।
रंगों और पानी से सीखें।
झलक एकता की दिखलायें।।
मानवता का अब हो संचार।
बहे सुख समृद्धि की धार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
रंग भरी पिचकारी से अब।
धोयें राग द्वेष का मैल।।
ऊँच नीच की हो न भावना।
उड़े अबीर लाल गुलाल।।
होली के हुड़दंग में भी।
बाँटें मानवता का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
गुजिया मिठाई की मिठास से।
फैले अब खुशियों की बहार ।।
आओ रंगों की पिचकारी से।
धोयें जग का अत्याचार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
है आये रंगों का त्यौहार।।
बसंत बहार के रंगों से।
ओढ़े धरती है पीतांबरी।।
ईष्या राग द्वेष को त्यागें।
सीचें मानवता की क्यारी।।
रूठे श्याम को भी मनायें।
रंगों से खुशियाँ फैलायें।।
रंगों और पानी से सीखें।
झलक एकता की दिखलायें।।
मानवता का अब हो संचार।
बहे सुख समृद्धि की धार।।
होली के रंग अबीर से।
आओ बाँटें मन का प्यार।।
खुशहाली आये जग में।
अब आया रंगों का त्यौहार।।
-०-
पता-
भुवन बिष्ट
(रानीखेत) अल्मोड़ा
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