शौर्य
(कविता)
महाराणा प्रताप की धरती
महाराणा प्रताप की धरती
मेवाड़ धरा पर
पग - पग पर वीरो की
गाथा खून से लिखी है।
चाहे महाराणा प्रताप का अभिमान हो,
चेतक का स्वाभिमान हो,
हल्दी घाटी का कुरूक्षेत्र हो,
कल्ला जी राठौड़ का शोर्य हो,
पन्ना का बलिदान हो,
राणा सांगा का संग्राम हो,
गोरा बादल की तलवार की खनक हो,
राणा कुम्भा का किर्ती स्तम्भ हो,
रानी पद्मावती का जोहर हो,
हाड़ा रानी का शीश हो,
मीरा की भक्ति हो,
गम्भीरी नदी का गौरव हो,
माँ कालिका का आशिर्वाद हो,
महाराणा प्रताप की धरती
चाहे महाराणा प्रताप का अभिमान हो,
चेतक का स्वाभिमान हो,
हल्दी घाटी का कुरूक्षेत्र हो,
कल्ला जी राठौड़ का शोर्य हो,
पन्ना का बलिदान हो,
राणा सांगा का संग्राम हो,
गोरा बादल की तलवार की खनक हो,
राणा कुम्भा का किर्ती स्तम्भ हो,
रानी पद्मावती का जोहर हो,
हाड़ा रानी का शीश हो,
मीरा की भक्ति हो,
गम्भीरी नदी का गौरव हो,
माँ कालिका का आशिर्वाद हो,
महाराणा प्रताप की धरती
मेवाड़ धरा पर
पग - पग पर वीरो की
गाथा खून से लिखी है।
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पता:
रतन लाल शर्मा (मेनारिया) 'नीर'
चितौडगढ़ (राजस्थान)
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