Friday, 6 December 2019
आओ कुछ करें (ग़ज़ल) - मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'
आओ कुछ करें
(ग़ज़ल)
चलो चलें जमीं पर अमन की बातें करें ।
अपने तो अपने ,परायों से भी बातें करें ।।
जब तलक जिंदगी जीएं प्यार से ही जीएं ।
अपनो से मुहब्बत गैरों को गले लगा के जीएं ।।
बेसहारों को हौसला दे प्यार की बरसात करें ।
भूखा-प्यासा कोई न रहे ,हालात ऐसे पैदा करें ।।
खुदा के सिवा मत डर किसी भी इन्सान से ।
नेक राह चलेगा तो जिएगा जहाँ में तू शान से ।।
अमन-चैन की बरसात से नहाए हमारा वतन ।
अमीर-गरीब के भेद को मिल कर करें दफन ।।
दुनियाँ को सौगात ऐसी दे सुधरे दींन-दुनियाँ यहाँ ।
"नाचीज़" कुछ कर ऐसा ,बाद मरने के याद करे जहाँ ।।
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