फुटपाथ पर बैठे
वे अजनबी चेहरें
लाचार और बेबस
नजर आते हैं
नन्ही आंखों के सपने
दूर कहीं खो जाते हैं
आशान्वित निगाहों से
हर राहगीर को वे ताकते हैं
पेट की भूख के लिए
बार-बार हाथ फैलाते हैं
गर्म लू के थपेड़ों से
नन्हा बचपन झुलस जाता है
नंगे पैरों के पदचिन्हों से
खिलता पुष्प सिमट जाता है
कुछ पैसों व रुपयों के लिए
घंटोंतक वे
लोगों के सामने गिड़गिड़ाते हैं
लेकिन दुराचार व कटु वचनों से
हरबार
अपमानित वे हो जाते हैं।।-०-
नेहा शर्मा ©®
अलवर (राजस्थान)
-०-
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बहुत सुन्दर
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