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Monday, 20 January 2020

पत्नी गई मायके (व्यंग्य कविता) - राजीव कपिल

पत्नी गई मायके
(व्यंग्य कविता)
पत्नी गई मायके मन में भरी उमंग
कुछ दिन चैन से कट जाएंगे नहीं होगी अब जंग ।।
बच्चे भी संग हो लिए सोने पर सुहागा ।
बापूजी और मैं रहे गए घर मे फिरु मैं भागा।।
सबसे पहला काम जब आया मेरे सामने
सूखे कपड़े लाने थे तह करके थे टांगने।
रात का खाना बना गयी अच्छा किया एक काम
खाना मन छक खाइके चले है निद्रा धाम।।
सुबह उठाया बाबू जी ने कर ले बेटा काम
हमने पीकर बेड टी किया सौच का दान।
झाड़ू लेकर हाथ मे बने जो केजरीवाल
कमर धनुष सी हो गयी निकले जैसे प्राण।।
जैसे तैसे झाड़ फूंक हमने थी निपटाई
पौछा लगाना पोस्टपोन किया हिम्मत नही थी भाई।।
नहाने में टाइम कम लगा जितना सुई में थ्रेड
गली में हॉकर चिल्लारहा था ब्रेड लेलो ब्रेड।।
आज का नाश्ता ब्रेड बटर लंच करेंगे बाद
जोमाटो भी तो दे रहा आफर की बरसात।।
खांसी जुकाम ने हालत करदी और भी पतली
नाक से पानी चल रहा गले से निकले अठन्नी।
-०-
पता:
राजीव कपिल
हरिद्वार (उत्तराखंड)

-०-

***
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