माँ की ममता
(कविता)
एक बार फिर से मिल जाए,
माँ का वह मुझे दुलार।
धन दौलत सब तज दूँ मैं,
बस! माँ से करूँ मैं प्यार।।
किसी ने सृष्टि में अब तक,
माँ जैसा न ममता दी है।
मुझे दूध पिलाने में माँ तो,
रात रात भर जागी है।।
माँ जैसा निःस्वार्थ प्यार,
जग में न कोई दे सकता।
माँ के चरणों में सच ही,
साक्षात स्वर्ग ही बसता।।
बच्चे के ख़ुशियों की ख़ातिर,
ख़ुद पर अत्याचार भी सहती।
कितना दर्द भी सहकर माँ,
न किसी से कुछ भी कहती।।
एक बार फिर से मैं माँ,
तेरा बेटा बन पाऊँ।
मुझे मेरा बचपन लौटा दे,
तेरे गोदी में सो जाऊँ।।
हर रिश्ते में माँ का दर्जा,
सबसे ज्यादा महान है।
कर्ज कभी चुका न सकता,
चाहे जो जितना धनवान है।।
माँ जैसा ममत्व न दूजा,
मर कर भी बच्चे को जीवन दे,
अपने बच्चों के लिए तो माँ,
सर्वस्व समर्पण कर दे।।
एक बार फिर प्रभु मुझे,
माँ का वरदान मिले।
माँ की सेवा फिर से कर लूँ,
जीवन में मेरे फूल खिले।।
माँ का वह मुझे दुलार।
धन दौलत सब तज दूँ मैं,
बस! माँ से करूँ मैं प्यार।।
किसी ने सृष्टि में अब तक,
माँ जैसा न ममता दी है।
मुझे दूध पिलाने में माँ तो,
रात रात भर जागी है।।
माँ जैसा निःस्वार्थ प्यार,
जग में न कोई दे सकता।
माँ के चरणों में सच ही,
साक्षात स्वर्ग ही बसता।।
बच्चे के ख़ुशियों की ख़ातिर,
ख़ुद पर अत्याचार भी सहती।
कितना दर्द भी सहकर माँ,
न किसी से कुछ भी कहती।।
एक बार फिर से मैं माँ,
तेरा बेटा बन पाऊँ।
मुझे मेरा बचपन लौटा दे,
तेरे गोदी में सो जाऊँ।।
हर रिश्ते में माँ का दर्जा,
सबसे ज्यादा महान है।
कर्ज कभी चुका न सकता,
चाहे जो जितना धनवान है।।
माँ जैसा ममत्व न दूजा,
मर कर भी बच्चे को जीवन दे,
अपने बच्चों के लिए तो माँ,
सर्वस्व समर्पण कर दे।।
एक बार फिर प्रभु मुझे,
माँ का वरदान मिले।
माँ की सेवा फिर से कर लूँ,
जीवन में मेरे फूल खिले।।
-०-
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
-०-
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