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Wednesday, 5 February 2020

बेटियाँ (कविता) - राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'

बेटियाँ
(कविता)
बेटियाँ कमाल होती हैं
वास्तव में बेमिसाल होती है
घर के आँगन की महक
बगिया की निराली शान होती हैं
बेटियाँ स्नेह,प्यार, दुलार
अनुराग और ममता की खान होती हैं
पूजा का सामान,मंदिर का दीप
गुलाब की भीनी सुगन्ध होती हैं

रहती हैं धरा पर, नज़र रखती हैं आसमां पर
कल्पना की ऊंची उड़ान होती हैं
लक्ष्मी, शारदा औऱ दुर्गा का रूप
ये सभी रिश्ते नातों की जान होती हैं
गिटार,बांसुरी का सुरीला सुर
शहनाई की मधुर तान होती हैं
कविता का छन्द,ग़ज़ल का मिसरा
उमर खय्याम की रूबाई होती हैं

सबके अधरों की मुस्कान
पिता का गर्व और अभिमान होती हैं
ममता की चादर में लिपटी
माँ के आंचल की छाया का भान होती हैं
निष्ठुर जमाने की ललचायी नजरें
जहाँ उम्र का कोई पैमाना नहीं
घर की देहरी पर,जब तक न पहुंचे बेटी
सांसत में माँ बाप की जान होती है

बेटा, बेटा करने वालो याद रखो
यही बेटे जब लेते हैं मुँह फेर
तब बेटी चाहे रहती हो कितनी दूर
हर हाल में माँ बाप की ढाल होती हैं
बेटियाँ पुत्र वधू बन,नये घर को
बेटी से बढ़ कर निहाल करती है
ससुर पापा जैसा सम्मान पाते
सास,सास नहीं, मदर-इन-लव बन जाती हैं

रेल,बस, मेट्रो तक चला रही हैं बेटियाँ
अब तो वायुयान, फाइटर प्लेन भी उड़ाती हैं
दीपा, सिंधु,सायना, मिताली, गीता,बबीता
सुपर मॉम मैरी कॉम भारत का कितना मान बढ़ाती हैं
सच,सच ही तो है, बेटियाँ कमाल होती हैं
वास्तव में बेमिसाल, बेमिसाल ही होती हैं
दो परिवारों के माथे का चंदन, आँगन की महक
बगिया,पूरी बगिया की
निराली शान होती हैं
-०-
पता: 
राजकुमार अरोड़ा 'गाइड'
बहादुरगढ़(हरियाणा)


-०-

***
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