मत समय बर्बाद कर
(कविता)
(कविता)
देखों यारों इस देश का क्या होगा
हर कोई समय देकर भी
खुद विलम्ब से आ रहा है
समय की उपेक्षा कर रहा है
वह यह भूल रहा है कि
गया समय वापस नहीं आता है
लाखों , करोडों रूपये दो तो भी
वह वापस नहीं आता है
हे मानव तू क्यों समय की अनदेखी कर रहा है
जिस दिन समय ने तेरी उपेक्षा कर दी
उस दिन तेरा क्या होगा
समय बडा कीमती है
समय का मोल तू पहचान
हे मूर्ख इंसान तू किस भ्रम में है
किसी को समय देकर तू
उसका भी कीमती समय बर्बाद कर रहा है
वही दूसरी ओर तू अपने आपको
धोखा दे रहा है एवं
तू पाप का भागीदार बन रहा है
जिसने भी समय की उपेक्षा की
उसका सदा विनाश हुआ है
हे मानव ! तूने अब भी
समय को नहीं पहचाना तो समझो
इस संसार में आकर भी
तेरा जीवन व्यर्थ हैं
-०-
सुनील कुमार माथुर ©®जोधपुर (राजस्थान)
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