आशीर्वाद
(कविता)
जन्मदिन के अवसर पर,बजुर्गों से मिला आशीर्वाद।
शतायू भव:
चरितार्थ हो वेद वाक्य,
“शत् जीव शरदों वर्धमान “
अर्थात -
निरंतर हो विकास,
बढ़े आन बान ओर शान।
पर हे परमात्मा ...
सुनना मेरी प्रार्थना,
ऐसा देना आशीर्वाद,
केवल देह की आयू ना बढ़े,
आत्मा की स्पष्टता भी बढ़े,
मिले ऐसा प्रसाद।
दीन हो कर ना जियें,
सक्षम हो करके जिए,
ना आए अवसाद।
शरीर की स्वस्थता बढ़े,
भीतर की प्रखरता बढ़े,
सबका हो विकास।
जीर्ण क्षीण देह में,
ओज का हो आवास,
मानो अभी जन्में हो,
ऐसा हो अहसास,
ज़िंदगी ऐसी जियें
ऊर्जा का हो अहसास,
ऐसी जागृति प्राप्त हो,
प्रभु ऐसा देना आशीर्वाद।
तब हो चरितार्थ वेद वाक्य,
शत जीव शरदो वर्धमान:-०-
पता
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