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Sunday 2 February 2020

देदो तुम मेरे पंखों को उड़ान चाहिए (कविता) - अजय कुमार व्दिवेदी


देदो तुम मेरे पंखों को उड़ान चाहिए
(कविता)
हे बाबुल मुझको अपनी पहचान चाहिए।
देदो तुम मेरे पंखों को उड़ान चाहिए।

चौका बर्तन करते मुझको जीवन भर न रोना है।
देदो तुम मेरे होठों को मुस्कान चाहिए।

देख सकूं मैं पूरी दुनियाँ भला-बुरा पहचान सकूं।
रह सकूं मैं जहाँ खुशी से वो जहान चाहिए।

घर की चार दिवारी में न मुझे सिमट कर रहना है।
आप देदो मेरे पंखों को खुला आसमान चाहिए।

बनना है मुझे कलेक्टर पापा देश का मान बढ़ाना है।
पढ़ने जाने दो मुझको भी थोड़ा ज्ञान चाहिए।

जहाँ रहे इज्जत से नारी न नारी का अपमान हो।
तुम देदो मुझको ऐसा हिन्दुस्तान चाहिए।
-०-
अजय कुमार व्दिवेदी
दिल्ली
-०-



***
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2 comments:

  1. हार्दिक बधाई अजय जी

    ReplyDelete
  2. अंजलि गोयल2 February 2020 at 21:59

    हर बेटी केमन की आवाज़
    सुन्दर रचना

    ReplyDelete

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