*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Saturday, 22 February 2020

एक राह के राही हम सब (कविता) - ज्ञानवती सक्सेना

एक राह के राही हम सब
(कविता)
एक राह के राही हम सब,
मंजिल सबकी जुदा जुदा
ठाट बाट यहीं रह जाएगा
स्टेशन जब आएगा
पैसा कौड़ी, अरब खरब पर, थैला साथ ना जाएगा
गहना -गांठा ,मोती माणक, लॉकर में रह जाएंगे
बेटा-बेटी, पोता-पोती
साथ कोई नाआएगा
लगे ठहाके पल दो पल के जो
यहाँ अक्स वो ही रह जाएगा काम जो आए कभी किसी के
वो ही तो गुण गाएगा
जो नई दिशा में पटरी बिछाकर इतिहास नया रच जाएगा
औरों के हित जिये मरे जो
मर के भी अमर हो जाएगा
एक राह के राही हम सब
मंजिल सबकी जुदा जुदा
ठाट-बाट यहीं रह जाँएगे
स्टेशन जब आएगा
-०-
पता : 
ज्ञानवती सक्सेना 
जयपुर (राजस्थान)
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ