एक राह के राही हम सब
(कविता)एक राह के राही हम सब,
मंजिल सबकी जुदा जुदा
ठाट बाट यहीं रह जाएगा
स्टेशन जब आएगा
पैसा कौड़ी, अरब खरब पर, थैला साथ ना जाएगा
गहना -गांठा ,मोती माणक, लॉकर में रह जाएंगे
बेटा-बेटी, पोता-पोती
साथ कोई नाआएगा
लगे ठहाके पल दो पल के जो
यहाँ अक्स वो ही रह जाएगा काम जो आए कभी किसी के
वो ही तो गुण गाएगा
जो नई दिशा में पटरी बिछाकर इतिहास नया रच जाएगा
औरों के हित जिये मरे जो
मर के भी अमर हो जाएगा
एक राह के राही हम सब
मंजिल सबकी जुदा जुदा
ठाट-बाट यहीं रह जाँएगे
स्टेशन जब आएगा
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