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Monday, 30 March 2020

अपनी ताकत को पहचानो (गीत) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'


अपनी ताकत को पहचानो 
(गीत)
बना खलीफा तुमको भेजा गया जहाँ में ,
ऐ लोगों तुम अपनी ताकत को पहचानों ।
*****
आदम की योनी तुमने पाई लासानी ।
हर योनी इसके आगे भरती है पानी ।।
भग्यवान हो तुम जो ऐसा अवसर पाया ।
परम पिता ने खुश होकर के तुम्हें बनाया।।
पहचानोगे खुद को तब ही बात बनेगी।
झांको खुद में देखो तुम क्या हो दीवानों।।
बना खलीफा तुमको भेजा गया जहाँ में ।
ऐ लोगों तुम अपनी ताकत को पहचानों ।।
*****
खुद रब ने जिसको अपने सांचे में ढ़ाला ।
भला नहीं क्यों होगा वो उसके गुणवाला ।।
वो सामान दृष्टा बन भेद नहीं करता है ।
वो खुशियों से सबकी ही झोली भरता है ।।
करूणा दया शील संतोष आदि गुण सारे ।
हों जिसमें वो शख्स आदमी है ये जानों ।।
बना खलीफा तुमको भेजा गया जहां में।
ऐ लोगो तुम अपनी ताकत को पहचानों।।
********
आदम हैं हम,हैं"अनन्त" उसकी परछाई ।
दूर जो हमसे बैठा है ,हममें है भाई ।।
क्या है गलत सही क्या है हर पल बतलाता।
लेकिन कम अक्लों का उसपे ध्यान न जाता ।।
सबके दिल में बैठा वो,क्योंभटक रहे हम।
पा सकते हैं उसको, ये समझो नादानों ।।
बना खलीफा तुमको भेजा गया जहाँ में।
ऐ लोगों तुम अपनी ताकत को पहचानों ।।
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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