(कविता)
जीवन साथी तेरे बिन
ये दुनिया दुनिया नही लगती
जब तक हो ना दो चार बातें
ये ज़िन्दगी बढिया नही लगती
चाहे हो तोहफ़े का मामला
या घूमने फिरने का माजरा
मै उत्तर तो तू है दक्षिण
मै दस तो तू नंबर ग्यारह
गर मुझको जाना हो पीहर
रूक जाऊँ तंरी हँसी देखकर
क्यों इतना ख़ुश हो जाते हो
मुझे अपनी ससुराल भेजकर
जब होती ख़र्चे की बात
बंद हो जाती तेरी ज़ुबान
दुनिया भर का ख़र्च तो करते
मेरे वक़्त कमान कस जाती
कम करो तुम अपना ख़र्चा
कह के मेरा जीना दूभर किया
और मैंने तेरा कहा मान
एैसा ही जीवन जी लिया
बात आये जब बच्चों की
उनकी परवरिश मुझे है करना
मै तो पैसा दे देता हुँ
अब आगे सब तुम्ही को करना
जब बच्चा कुछ अच्छा करता
बच्चे का पापा नाम कमाता
और जब हो कुछ उलटा सीधा
सारा इल्ज़ाम बस माँ पर आये
वाह मेरे प्यारे जीवन साथी
हम तुम दोनो एैसे दीपक बाती
साथ तो चलते रहते हरदम
पर राह कभी भी मिल नही पाती
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