प्यार कहीं खो सा गया है...
(आलेख)
पहले शादी का सफर कुछ इस तरह रहता था, ना कोई फोन का जरिया ना मिलना बस एक इंतजार और तड़प थी, और तड़प थी। खत का जरिया था संपर्क करने का उस लिखने के लिए को ना देखा जाता था अपने छोटे भाई बहनों से खींचने और लाने का काम किया जाता था उसके लिए उन्हें लालच दिया जाता था इंतजार में जो मजा था ।उसे बयां नहीं किया जा सकता। जवाब आने पर डर रहता था कोई देख ना ले क्या बोलेगा इस लेटर को पढ़ने के लिए घर का कोना ढूंढा जाता था रिलेशनशिप प्यार की गहराई होती थी बड़ों के लिए माल होता था
फिर आई ट्रंक कॉल की बारी थोड़ी छूट तो मिली बात करने में बहुत परेशानी होती थी आने के लिए आपस में टाइमिंग को सेट करना पड़ता था उससे बात करने का सिलसिला चालू हुआ वह भी क्या टाइम हुआ करता था बात करने के लिए पड़ोसी क्या कॉल किया जाता था और कट कर दिया जाता था कॉल अटेंड करने के लिए समय बाद फिर कॉल आता इंतजार का मजा ही कुछ अलग है प्यार दीवाना होता था फिर घर घर में लैंडलाइन टेलीफोन आ गए लोगों को भी सुविधा मिली।
फिर आया एस एम एस मोबाइल फोन वीडियो कॉल इसमें लोगों के रिलेशनशिप हो गई गहरी लोग एक 1 मिनट का हिसाब रखने लगे । ज्यादा से ज्यादा वक्तफोन पर ही बिताना। किसी कारणवश किसी नेफोन नहीं उठाया इस का नतीजा लड़ाई झगड़ा रूठना। इसको कोई प्यार नहीं कहा जाएगा यह एक अट्रैक्शन है। इतनी बात करने के बाद भी आप लोगों ने एक दूसरे को क्या समझा।
लास्ट बट नॉट द लिस्ट बड़ी-बड़ी सिटीज में देखने में आया है। शादी फिक्स होते हि साथ में घूमना ज्यादा से ज्यादा टाइम बिताना हर पल साथ रहने की कोशिश करना यह भारतीय परंपरा नहीं है विदेशी परंपराओं की नकल की जा रही है शादी से पहले लिव इन रिलेशनशिप मैं रहते हैं देखने के लिए साथ में ले सकते हैं या नहींइस पता नहीं बड़ों की मान मर्यादा को तोड़ दिया है अब नहीं रही कोई आंखों में शर्म इस तरह का रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता शादी होने के पहले ही रिश्ता खत्म।
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पता
हिमानी भट्ट
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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