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Wednesday 15 April 2020

सजल (कविता) - दिनेश कुमार चतुर्वेदी

सजल
(कविता)
जिंदगी खुद से लड़ी है कुछ करो
मौत भी पीछे पड़ी है कुछ करो
🔷
बाप-बेटे की नहीं पटती तनिक
आ गई कैसी घड़ी है कुछ करो
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चाहने से कुछ नहीं मिलता यहाँ
सामने मंजिल खड़ी है कुछ करो
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है पुजारी न्याय, करुणा, सत्य का
हाथ में पर हथकड़ी है कुछ करो
🔷
भूल बैठे राजनेता मार्ग शिव
कंस जैसी खोपड़ी है कुछ करो
🔷
बैठते हो हाथ धर के हर समय
भाग्य कर्मों से बना है कुछ करो
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प्यार तो सुख का महल होता नहीं
दर्द की इक झोपड़ी है कुछ करो
🔷
चाहती बहना नहीं है अब नदी
बात पर अपनी अड़ी है कुछ करो
-०-

पता:
दिनेश कुमार चतुर्वेदी
खोखरा
जांजगीर चांपा (छत्तिसगढ़)


-०-

***
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