न कहीं दंगा , न कहीं फ़साद है ।
हर तरफ शांति की सत्ता आबाद है ।
देखा नहीं कभी ऐसा मरघटी सन्नाटा -
सभी बंद हैं घरों में , नहीं कोई आज़ाद है ।
लोग खिड़कियों से झांक रहे हैं कुछ ऐसे -
मानों द्वार की उन्हें नहीं कुछ याद है ।
दूरियां दिलों की जो पाटी थी आदमी ने -
नज़दीकियां आज वे हो गईं बर्बाद हैं ।
आदमी को शक़ की नज़र से देखता आदमी -
संकट में हर मां - बाप , संकट में औलाद है ।
सन्नाटा पसरा है हर गांव , गली , शहर में -
आदमी से आदमी का आज बंद संवाद है ।
वक़्त ही कुछ ऐसा ज़ालिम आज ये आया -
फ़िज़ूल उसके सामने आज हर विवाद है ।
पीड़ा आज यह सह रही है जो ये मानवता -
इस पीड़ा का कहीं नहीं कोई अनुवाद है ।
प्रभु की जो सेवा , की है जो आराधना -
उसी पूजा का समझ लो यह प्रसाद है ।
मिल - जुलकर सामना कर हम दिखाएंगे -
भारत विश्व में इसका एक अपवाद है ।
हर तरफ शांति की सत्ता आबाद है ।
देखा नहीं कभी ऐसा मरघटी सन्नाटा -
सभी बंद हैं घरों में , नहीं कोई आज़ाद है ।
लोग खिड़कियों से झांक रहे हैं कुछ ऐसे -
मानों द्वार की उन्हें नहीं कुछ याद है ।
दूरियां दिलों की जो पाटी थी आदमी ने -
नज़दीकियां आज वे हो गईं बर्बाद हैं ।
आदमी को शक़ की नज़र से देखता आदमी -
संकट में हर मां - बाप , संकट में औलाद है ।
सन्नाटा पसरा है हर गांव , गली , शहर में -
आदमी से आदमी का आज बंद संवाद है ।
वक़्त ही कुछ ऐसा ज़ालिम आज ये आया -
फ़िज़ूल उसके सामने आज हर विवाद है ।
पीड़ा आज यह सह रही है जो ये मानवता -
इस पीड़ा का कहीं नहीं कोई अनुवाद है ।
प्रभु की जो सेवा , की है जो आराधना -
उसी पूजा का समझ लो यह प्रसाद है ।
मिल - जुलकर सामना कर हम दिखाएंगे -
भारत विश्व में इसका एक अपवाद है ।
-०-
No comments:
Post a Comment