कन्हैया साहू 'अमित'
(दोहा)
शुभकर यह शुभकामना, देता अमित सहर्ष।
स्वच्छ स्वस्थ जगमग रहे, अपना भारतवर्ष।-1
वर्ष 'शरद' को दे गया, खुशियों की सौगात।
दीपों की दीपावली, देती तम को मात।-2
मात तिमिर को दे सदा, हर्षित होता दीप।
यूँ मोती बनता अमित, मिटकर नन्हा सीप।-3
सीप कहे सुनिए सभी, परहित करिये काज।
तेल सहित बाती जले, दीपक पर सब नाज।-4
नाज करें जनगण अमित, गर सबको लें जोड़।
राजमहल की लालसा, मत कुटीर को छोड़।-5
छोड़ व्यर्थ बातें अभी, करो नहीं संदेह।
खुशियों का अवसर यही, अमित लुटाओ स्नेह।-6
स्नेह संपदा साथ जब, बनती बिगड़ी बात।
अभिनंदन 'श्री' आपका, स्याह अमावस रात।-7
रात रमा आराधना, इस दीवाली पर्व।
अंतर का जब तम मिटे, तभी स्वयं पर गर्व।-8
गर्व अमित होगा अगर, रखें स्वच्छता साथ।
खूब पटाखा फोड़िए, झाडू भी रख हाथ।-9
हाथ भलाई में उठे, फिर क्यों हो संघर्ष।
हृदय द्वार को खोलिए, स्वागत करें सहर्ष।-10
-०-पता:
स्वच्छ स्वस्थ जगमग रहे, अपना भारतवर्ष।-1
वर्ष 'शरद' को दे गया, खुशियों की सौगात।
दीपों की दीपावली, देती तम को मात।-2
मात तिमिर को दे सदा, हर्षित होता दीप।
यूँ मोती बनता अमित, मिटकर नन्हा सीप।-3
सीप कहे सुनिए सभी, परहित करिये काज।
तेल सहित बाती जले, दीपक पर सब नाज।-4
नाज करें जनगण अमित, गर सबको लें जोड़।
राजमहल की लालसा, मत कुटीर को छोड़।-5
छोड़ व्यर्थ बातें अभी, करो नहीं संदेह।
खुशियों का अवसर यही, अमित लुटाओ स्नेह।-6
स्नेह संपदा साथ जब, बनती बिगड़ी बात।
अभिनंदन 'श्री' आपका, स्याह अमावस रात।-7
रात रमा आराधना, इस दीवाली पर्व।
अंतर का जब तम मिटे, तभी स्वयं पर गर्व।-8
गर्व अमित होगा अगर, रखें स्वच्छता साथ।
खूब पटाखा फोड़िए, झाडू भी रख हाथ।-9
हाथ भलाई में उठे, फिर क्यों हो संघर्ष।
हृदय द्वार को खोलिए, स्वागत करें सहर्ष।-10
-०-पता:
कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
बाह! बहुत सुन्दर दोहे के लिये हार्दिक बधाई है आदरणीय !
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