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Friday, 9 October 2020

बेटियों पर जुल्म देश पर बहुत बडा कलंक (आलेख) - सुनील कुमार माथुर

बेटियों पर जुल्म देश पर बहुत बडा कलंक
(आलेख)
 
देश भर में जहां एक ओर बेटी बचाओं , बेटी को पढाओ का नारा दिया जा रहा हैं वही दूसरी ओर बेटियों पर ही सर्वाधिक जुल्म हो रहें है । हाथरस की घटना के बाद राजस्थान व अन्य राज्यों में बेटियों के साथ गैंगरेप की घटनाओं के बाद उनकी हत्या कर देना एक चिंता की बात हैं । ऐसी घटनाओं के बाद अपराधियों को मौत की सजा देना तो दूर की बात है अपितु विपक्ष इस पर राजनीति करने लगता हैं ।

इस प्रकार की घटनाओं पर राजनीति करना ओछी मानसिकता का परिचायक है । दरिन्दों को बचाने के बजाय उन्हें फांसी की सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो । अगर इन दरिन्दों से कोई पूछें कि कोई तुम्हारी मां , बहन , बेटी के साथ ऐसी दरिंदगी करें तो क्या होंगा । हम किसी के जीवन में खुशियां नहीं ला सकतें है तो कोई बात नहीं लेकिन हमें किसी के जीवन को संकट में डालने , किसी की जान लेने व किसी की जिन्दगी से खिलवाड करने का कोई अधिकार नहीं है । 

हाथरस में जो घटना घटित हुई उससे समूचे राष्ट्र का सिर शर्म से झुक गया । आखिर प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी थी कि पीडिता का रातों रात अंतिम संस्कार किया गया वह भी परिजनों से बिना पूछें । आखिर क्या मजबूरी थी कि सवेरे तक का इन्तजार भी नहीं किया गया । 

हम बालिका दिवस व महिला दिवस मनाते हैं लेकिन अपनी मर्यादा को भूल जाते है आखिर क्यों  ? बेटियों पर जुल्म देश पर बहुत बडा कलंक हैं । दबंगों की दबंगई के किस्से हम रोज समाचार पत्रों में पढते हैं और टी वी समाचारों में देखते हैं लेकिन आज दिन तक सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है और नतीजा सामने हैं । आखिर कब नारी पर होने वाले जुल्म थमेगे ।

आज समानता के अधिकारों की बात की जाती हैं और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है यही वजह है कि आज देश भर में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं । लेकिन इस पुरूष प्रधान देश में पुरूष वर्ग यह नहीं चाहता हैं कि महिलाएं हम से आगें निकल जायें और वे उनसे अधिक कमाने लग जायें । बस इसी हीन भावना के चलतें पुरूष वर्ग नारी की प्रगति में बाधक बन कर उसे येन केन प्रकारेण परेशान करता हैं । 

उसको नीचा दिखाना चाहता हैं । वह उसे प्रगतिशील एवं अग्रगामी विचारों के रूप में नहीं देखना चाहता हैं चूंकि पुरूषों की हीन भावना ही वह प्रमुख कारण हैं जो उसे असुरक्षित बनाती हैं । एक अन्य कारण यह भी कि नारी आज पुरूषों की पौशाके पहन कर आधुनिक लगना चाहती है जिसे पुरूष वर्ग बर्दाश नहीं कर पा रहा है । अतः महिलाओं को चाहिए कि वह आधुनिकता के नाम पर अपनी सभ्यता और संस्कृति को न भूलें । वैसे देखा जाये तो महिलाएं अब भी असुरक्षित हैं इसके लिए एक नहीं अनेक कारण जिम्मेदार हैं जैसे  :- घटिया सोच , हीन भावना , ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा  , एक - दूसरे से तुलना , अशिक्षा  , रूढियां ,  बढते अपराध  , लचीली न्याय व्यवस्था  , कानून का भय न होना आदि - आदि ।

ऐसी घटनाओं के बाद राजनैतिक दलों द्धारा घडियाली आंसू बहाने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है अपितु दोषियों को सरे बाजार ऐसा कठोर दंड दिया जाये कि दूसरे लोग अपराध करने से कतराये । ऐसे मुद्दे पर राजनीति करना ओछी मानसिकता का परिचायक है ।
-०-
सुनील कुमार माथुर ©®
जोधपुर (राजस्थान)

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