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Friday, 9 October 2020

सुख दुख है जीवन में दोनों (गीत) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'

सुख दुख है जीवन में दोनों
(गीत)
कभी सुरों की सरिता बहती,
कभी जिंदगी  कांव-कांव है। 
सुख दुख है जीवन में दोनों, 
कभी धूप है  कभी  छांव है।। 
******
कभी  अंधेरे  कभी  उजाले, 
से  होकर  जाना  पड़ता  है।
जीवन का रथ उबड़खाबड़, 
रास्तों   से  आगे   बढ़ता  है।। 
कोई  फूल  बिछाए  पथ  में, 
कोई  कांटे  बिछा   रहा   है। 
कोई   टांग   खींचता   नीचे, 
कोई   ऊपर   उठा  रहा   है।।
कभी मखमली  गद्दो  पर है, 
कभी धूल में  सना  पांव  है। 
सुख दुख हैं जीवन में दोनों, 
कभी धूप  है  कभी छांव है।।
*******
कभी  कहीं   है  सर्दी   गर्मी, 
जीवन नित्य  बदलने वाला। 
कभी श्वेत वर्णी  जीवननभ, 
कभी हुआ है  देखो  काला।। 
कभी-करी उत्तीर्ण  परीक्षा, 
कभी फेलका मजा चखाहै। 
हानिलाभ से ऊपर उठकर, 
जिसने जीवन यहां रखा है।। 
उत्तम वही तो मनआँगन है,
नहीं  रहे  जिसमें  तनाव है। 
सुखदुख है जीवन में दोनों, 
कभी धूप है  कभी छांव है।।
******* 
आशा और निराशा  के जो, 
दो  पैरों   पर  नाच  नचाए। 
कठपुतली ये बना, जिंदगी, 
कभी हंसाए कभी रूलाए।। 
कभी गमोंके अश्क आँखमें,
कभी खुशी  नजरें बरसाती। 
कभी मौत हंसती आआकर, 
कभी चाहने  पर  ना आती।। 
कभीउदास"अनंत"मनबस्ती, 
शोर  मचाता  कभी  गांव है।। 
सुखदुख है जीवन में  दोनों, 
कभी धूप है  कभी  छांव है।। 
******
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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1 comment:

  1. हार्दिक बधाई है आदरणीय सुन्दर रचना केे लियै

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