प्रेम
(कविता)
प्रेम नश्वर देह की जैसे श्वांस हैहृदय का अडिग सा विश्वास है।
प्रेम है प्रियतम का सानिध्य,
दिल का रिश्ता बहुत खास है।
प्रेम जीवन की अनमोल पूँजी
धनी है वो,यह जिसके पास है।
प्रेम आत्मा से आत्मा का मिलन,
ईश्वरीय शक्ति का जैसे एहसास है।
प्रियतम की अनुपस्थिति लगती है,
जैसे चाँद बिन चकोर उदास है।
प्रेम है अनुभूतियों का विषय,
समर्पण,निष्ठा का इसमें वास है।
प्रेम भौतिकवादिता से है परे,
अलौकिक सौंदर्य का दास है।
प्रेम है औषधीय गुणों से परिपूर्ण,
आनंद, हर्ष और उल्लास है।
प्रेम है आशाओं का अखण्ड दीपक
यही जीवन की एकमात्र आस है।
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