*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Friday, 5 February 2021

लाल हँसिया की धार (कविता) - आदित्य अभिनव

 

लाल हँसिया की धार 
(कविता)
    मैंने देखा 
    कुछ लोग लाल गुलाब को 
    मसल रहे हैं, 
   लाल हँसिया की धार 
   इतनी भोथरी
   हो गई है कि 
   गेहूँ की बालियाँ 
   नहीं कट रही हैं अब।
   मीठी धीमी जहर वाला
   किंगकोबरा 
   अपना फन बढ़ाकर 
   इतना विस्तृत कर लिया है 
   कि उसके छाया तले 
   सारी दुनिया 
   धीरे-धीरे
   मर रही है 
   लेकिन 
   किसी को  अपने मरने का 
   न अहसास है 
   न पछतावा।         
-०-
पता: 
आदित्य अभिनव उर्फ डॉ.  चुम्मन प्रसाद श्रीवास्तव 
कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश)

-०-

आदित्य  अभिनवजी की रचनाएं पढ़ने के लिए शीर्षक चित्र पर क्लिक करें!

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ