(गीत)
बच्चे हैं भविष्य अनदेखी ,कभी न उनकी पीर रहे।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुंदर सी तस्वीर रहे ।।
बच्चे ही कल युवा बनेंगे ,युवा देश निर्माता हैं ।
अच्छे बच्चे ही तो अच्छे देश के जीवनदाता हैं ।।
संस्कारित बच्चों का होना इसलिए आवश्यक है
पढ़ना लिखना पोषण पाना बच्चों का लोगों हक है ।।
गलत राह पर चले ना जाएं अच्छी हर तासीर रहे।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे ।।
जीवन जीने का हक उनका पहला हक कहलाता है।
बच्चे ही हैं नींव समझ क्यों हमें नहीं ये आता है ।।
इनका पोषण लालन पालन देश की जिम्मेदारी है।
पूर्व जन्म के इन्हें मारना बहुत बड़ी गद्दारी है ।।
ये होंगे तो भारत होगा कायम ये जागीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुंदर सी तस्वीर रहे।।
है विवाद संरक्षण के हित मात पिता में दुखदाई ।
कौन रिक्तता भर पाएगा कौन कहो पाटे खाई ।।
बच्चों के कल्याण के खातिर त्याग जरूरी करें।
सभी बच्चों को हानि न पहुंचे परम पिता से डरे सभी ।।
पुख्ता बच्चों के खातिर नित रक्षा की प्राचीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे।।
है मौलिक अधिकार पढ़ाई भूल गए दुःख पाएंगे।
पैरोकार अंधेरों के जो ,सूरज कहाँ उगाएंगे ।।
"अनंत" शिक्षा से कतरा कर लोगों सफल नहीं होंगे ।
होगी कहां तरक्की बोलो क्या हम विकल नहीं होंगे।।
काट अंधेरा देता सूरज बनकर जब शमशीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे ।।
-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
बच्चे हैं भविष्य अनदेखी ,कभी न उनकी पीर रहे।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुंदर सी तस्वीर रहे ।।
बच्चे ही कल युवा बनेंगे ,युवा देश निर्माता हैं ।
अच्छे बच्चे ही तो अच्छे देश के जीवनदाता हैं ।।
संस्कारित बच्चों का होना इसलिए आवश्यक है
पढ़ना लिखना पोषण पाना बच्चों का लोगों हक है ।।
गलत राह पर चले ना जाएं अच्छी हर तासीर रहे।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे ।।
जीवन जीने का हक उनका पहला हक कहलाता है।
बच्चे ही हैं नींव समझ क्यों हमें नहीं ये आता है ।।
इनका पोषण लालन पालन देश की जिम्मेदारी है।
पूर्व जन्म के इन्हें मारना बहुत बड़ी गद्दारी है ।।
ये होंगे तो भारत होगा कायम ये जागीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुंदर सी तस्वीर रहे।।
है विवाद संरक्षण के हित मात पिता में दुखदाई ।
कौन रिक्तता भर पाएगा कौन कहो पाटे खाई ।।
बच्चों के कल्याण के खातिर त्याग जरूरी करें।
सभी बच्चों को हानि न पहुंचे परम पिता से डरे सभी ।।
पुख्ता बच्चों के खातिर नित रक्षा की प्राचीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे।।
है मौलिक अधिकार पढ़ाई भूल गए दुःख पाएंगे।
पैरोकार अंधेरों के जो ,सूरज कहाँ उगाएंगे ।।
"अनंत" शिक्षा से कतरा कर लोगों सफल नहीं होंगे ।
होगी कहां तरक्की बोलो क्या हम विकल नहीं होंगे।।
काट अंधेरा देता सूरज बनकर जब शमशीर रहे ।
स्वर्णिम भारत की नजरों में सुन्दर सी तस्वीर रहे ।।
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अख्तर अली शाह 'अनन्त'
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