पाप का भागी
(लघुकथा)
"राम-राम पंडित जी।""राम-राम सरपंच जी।"
"पंडित जी, रहने दीजिए। आप क्यों झाड़ू लगा रहे है। मैं स्वीपर बुलाया हूँ। वह कल सुबह आकर सफाई कर देगा। आप यूँ सफाई करेंगे, तो हमें पाप चढ़ेगा।"
"सरपंच जी, स्वीपर अपने टाइम पर आएगा सफाई करने। आज के रथ यात्रा में लगे मेले के कारण यहाँ बिखरे पड़े ये प्लास्टिक के बॉटल, कैरी बैग्स और पेपर-प्लेट्स, जिनमें खाने-पीने की चीजें लगी हैं, तुरंत न हटाएँ, तो निरीह जानवर इन्हें खाकर बीमार पड़ सकते हैं। मर भी सकते हैं। उसका पाप नहीं लगेगा हमें ?"
"ओह, हाँ, ये तो मैंने सोचा ही नहीं। रुकिए, मैं भी एक झाड़ू लेकर आता हूँ।"
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पता:
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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