दीपावली
(कविता)
दीपावली पर्व पावन है सखी,
सब संदेश हैं इसमें समाहित ।
जनकल्याणपक्ष है मुखर यहाँ,
जीवन की उज्जवल मुस्कान ।
तिमिरचीर प्रकाश प्रकट होता,
सत्य रहा सर्वदा विजयी होता।
विजयी हुआ है सत्य जब तब ,
सज गई अयोध्या दुल्हन -सी ।
दीपों की मालाओं से सज गयी।
दर्प ने समेटा खुद को कहीं पर,
अहंकारी जमीं में जा मिला था।
दौलत न आयी थी काम उसके,
सहज, सत्य गौरवान्वित हुआ।
हर पर्व करता शिक्षित सदा ही,
सत्य पथ पर ही चलें हम सर्वदा।
हर घर का अंधेरा दूर करदें हम,
उजियारा जगे दूर हो अंधियारा।
दीपावली पर्व पावन है सखी,
सब संदेश हैं इसमें समाहित ।
जनकल्याणपक्ष है मुखर यहाँ,
जीवन की उज्जवल मुस्कान ।
तिमिरचीर प्रकाश प्रकट होता,
सत्य रहा सर्वदा विजयी होता।
विजयी हुआ है सत्य जब तब ,
सज गई अयोध्या दुल्हन -सी ।
दीपों की मालाओं से सज गयी।
दर्प ने समेटा खुद को कहीं पर,
अहंकारी जमीं में जा मिला था।
दौलत न आयी थी काम उसके,
सहज, सत्य गौरवान्वित हुआ।
हर पर्व करता शिक्षित सदा ही,
सत्य पथ पर ही चलें हम सर्वदा।
हर घर का अंधेरा दूर करदें हम,
उजियारा जगे दूर हो अंधियारा।
-०-
डॉ.सरला सिंह 'स्निग्धा'
डॉ.सरला सिंह 'स्निग्धा'
दिल्ली
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