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Thursday, 21 November 2019

सृजन की बेला (कविता) - मोनिका शर्मा

सृजन की बेला
(कविता)
सृजन की बेला
सृजन की बेला में सोलह सिंगार करें
आओ सखी आज स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार करें।

नहीं करेगा कोई तुम्हें प्रोत्साहित यहां ,
पर तुम न होना हतोत्साहित
यह संसार ऐसे ही तुम्हारा प्रतिकार करेगा
चलना पड़ेगा अकेले तुम्हें कर्म पथ पर
लड़ना पड़ेगा अपनी मुश्किलों से संवम ही
आओ सखी आज स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार करें।
सृजन की बेला में सोलह सिंगार करें
मूल्यवान फूलों की माला बनाएं,
उसे आज स्वयं को पहनाए
सूरज को मांग का टीका बनाएं
चांद की कलाओं से पलकें सजाए
तारों की साड़ी बनाकर, आत्मसात करें
आओ सखी आज स्वयं से स्वयं का अंगीकार करें
सृजन की इस बेला में
सोलह सिंगार करें।-०-
पता:
मोनिका शर्मा
गुरूग्राम (हरियाणा)

-०-

***
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12 comments:

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