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Thursday, 21 November 2019

राधा कृष्ण ही हैं हम (कविता) - दुल्कान्ती समरसिंह (श्रीलंका)


राधा कृष्ण ही हैं हम
(कविता)
 
वृंदावन ,
चरवाह महल में
हम दोनों ही थे, याद है मुझे,
राधा , राधा, राधा...

राधा, राधा
बुलाने तक तुम
उम्मीद किया है मैंने हरे कृष्ण
कृष्ण,कृष्ण ,कृष्ण ...

पहले टिम टिम चमके आँखें
बुझा दिया है क्या ?
नारंगी रंग होंठों में शब्दों को
छुपा लिया है क्या?

बहुत समय के बाद सोने का सूरज
देखा है मुझे ,
अंदर में हँसी , जो मेरे दिल में छाया
आँखों से देखा है वो

फूल खिले थे
सुगंध देते
इस प्रेम कहानी
कहते हुए

पूजा करूँगी मैं इसे
तेरे मेरे प्रेम की ओर
बार बार जन्मे लेते
तेरे संग ही रहते ।।
-०-
दुल्कान्ती समरसिंह
18, ग्रीन्फील्ड एटाविल, कलुतर, श्रीलंका

-०-

***
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