चंदू चाचा
(लघुकथा)
समिति के सदस्य उपाध्याय जी के बेटे हिमांशु का बैंक अधिकारी के पद पर चयन होने पर उन्होंने समिति के सभी सदस्यों के लिये शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पर्यटन स्थल पर पिकनिक का आयोजन रखा था।
पिकनिक शानदार रही और सदस्य वापिस होने लगे।
मूंदड़ा जी कार लेकर आये थे। उनके साथ कार में समिति के चार सदस्य भी आये थे। उनमें चंदू चाचा भी थे।
मूंदड़ा जी की नजर सामने गई तो देखा,चंदू चाचा तो वहाँ खड़े किसी का इंतजार कर रहे हैं।
कार से उतरकर उन्होंने चाचा को आवाज देकर बुलाया।
कार में तिवारी जी बैठ थे।फौरन बोले-"चंदू मोटरसाइकिल से नेमाजी के साथ आ जायेंगे।मेरी बात हो गई है। उनके बदले मैं आपके साथ चल रहा हूं।"
मूंदड़ा जी बोले-"ऐसा क्यों?चंदू चाचा,हमारे साथ आये थे,वे ही जायेंगे।तिवारी जी,आप हमारे साथ नहीं आये थे।इसीलिये आप नहीं।हाँ,जगह होती तो आप को साथ ले भी चल सकते थे। परंतु इसमें जगह भी नहीं है।अतः आप किसी दूसरे साधन से आवें।इससे चंदू चाचा ही जायेंगे। आइये चाचा,आकर बैठिये।"
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