जस खोजा तस पाईयां ...
(कविता)
गुजर गये वो पाँच दिन
त्योहार के
अलग अलग अनुभूति
अलग अलग विचार के
पहला विचार
इकट्ठा हुआ परिवार
बच्चों की खिलखिलाहट संग
मिले बचपन के यार
रसोई में पल्टे के स्वर
साफ-सुथरा हुआ घर
दमकी नव-वसनों से नारी
सौन्दर्य से अमावस हारी
बहुत कुछ देकर गये
त्योहार अपने
लगा इसलिए
सकारात्मक थे विचार अपने
दूसरा विचार
जो सदैव ढूंढ़ता
जीत में भी हार
उसे त्योहार में
उदासी, थकान, खर्च जैसे
दूषण मिलें
वायु संग ध्वनि प्रदूषण मिलें
ये विषाद उनको
सताये जा रहा है
त्योहार तो गया
पर उनके मन का
अवसाद ना जा रहा है
कहा भी गया है -
जस खोजा, तस पाईयां
निज त्योहारां माय...
गुजर गये वो पाँच दिन
त्योहार के
अलग अलग अनुभूति
अलग अलग विचार के
पहला विचार
इकट्ठा हुआ परिवार
बच्चों की खिलखिलाहट संग
मिले बचपन के यार
रसोई में पल्टे के स्वर
साफ-सुथरा हुआ घर
दमकी नव-वसनों से नारी
सौन्दर्य से अमावस हारी
बहुत कुछ देकर गये
त्योहार अपने
लगा इसलिए
सकारात्मक थे विचार अपने
दूसरा विचार
जो सदैव ढूंढ़ता
जीत में भी हार
उसे त्योहार में
उदासी, थकान, खर्च जैसे
दूषण मिलें
वायु संग ध्वनि प्रदूषण मिलें
ये विषाद उनको
सताये जा रहा है
त्योहार तो गया
पर उनके मन का
अवसाद ना जा रहा है
कहा भी गया है -
जस खोजा, तस पाईयां
निज त्योहारां माय...
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